14 June 2023

वर्ष की सबसे महत्वपूर्ण एकादशी | निर्जला एकादशी

हिंदू धर्म में एकादशी को विशेष महत्व माना गया है। यह तिथि प्रत्येक माह के दो पक्षों कृष्ण पक्ष एवं शुक्ल पक्ष के दौरान आती है। इन दोनों चंद्र पक्षों का ग्यारहवां चंद्र दिन ही एकादशी कहलाता है। इस गणना के अनुसार एक वर्ष में कुल 24 एकादशी आती है। कभी-कभी, एक लीप वर्ष में दो अतिरिक्त एकादशी भी आती हैं। एकादशी तिथि भगवान श्री विष्णु की पूजा आराधना के लिए विशेष रूप से शुभ तिथि होती है। प्रत्येक एकादशी के दिन विशिष्ट कार्यों को करने से विशिष्ट लाभ और आशीर्वाद प्राप्त होते हैं। एकादशी का उल्लेख भागवत पुराण में भी दर्शाया गया है। हिंदू और जैन धर्म में एकादशी को आध्यात्मिक दिन माना जाता है। सभी 24 एकादशियों में सबसे मुख्य निर्जला एकादशी को माना जाता है। धार्मिक दृष्टि से यह प्रमुख एकादशी ज्‍येष्‍ठ मास के शुक्‍ल पक्ष की में आती है। साथ ही इस दिन गायत्री जयंती भी मनाई जाती है।

 

निर्जला एकादशी की पौराणिक कथा

निर्जला एकादशी की व्रत कथा महाभारत काल से जुड़ी है। पौराणिक कथा के अनुसार महाभारत में जब पांडवों को अज्ञातवास हुआ, तो वह ब्राम्हण के रूप में रहने लगें। उस समय पांडव नियमित रूप से एकादशी का व्रत करते थे। लेकिन महाबली भीम से भूख सहन नहीं होती थी, इसलिए वह कोई भी एकादशी का व्रत सही तरीके से नहीं कर पाते थे। इस वजह से भीम को बहुत ग्लानि होने लगी। तब उन्होनें इस समस्या का हल निकालने के लिए महर्षि वेद व्यास जी को याद किया। उन्होनें अपनी सारी समस्या वेद व्यास जी से कहीं। बात सुनकर वेद व्यास जी ने कुंती पुत्र महाबली भीम को निर्जला एकादशी के बारे में बताया। उन्होनें कहा कि निर्जला एकादशी का व्रत सभी एकादशियों से कठिन है। लेकिन इस व्रत को करने से सभी एकादशियों का फल मिल है। यह सुनकर भीम ने पूरी निष्ठा और श्रद्धा के साथ निर्जला एकादशी का व्रत रखा। इस व्रत को करके वह अपनी ग्लानि से मुक्ति हो पाए। इसी वजह से निर्जला एकादशी को पाण्डव एकादशी या भीमसेन एकादशी भी जाना जाता हैं।

 

निर्जला एकादशी का महत्‍व एवं मान्यताएं।

सनातन धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। मान्यता है कि भगवान कृष्ण ने युधिष्ठिर और अर्जुन को एकादशी व्रत के बारे में बताया था। निर्जला एकादशी के दिन परिवार की सुख समृद्धि और खुशहाली के लिए निर्जला व्रत रखा जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस व्रत को कठोर व्रत में गिना जाता है और अगर कोई व्यक्ति पूरे साल एकादशी के व्रत ना रखें और सिर्फ निर्जला एकादशी का व्रत रखें तो उसे भी संपूर्ण एकादशियों का फल मिलता है। निर्जला एकादशी नाम के अनुसार ही इस व्रत को करने वाले लोगों को अन्‍न और जल का त्‍याग करके व्रत करना पड़ता है। पद्म पुराण के अनुसार यह व्रत भगवान विष्णु की शक्ति का एक स्वरूप माना जाता है इसलिए इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की उपासना करनी चाहिए ऐसा करने से भक्तों को लक्ष्मी-नारायण की विशेष कृपा प्राप्त होती है साथ ही दीर्घायु और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

निर्जला एकादशी के दिन दान पुण्‍य करने का भी विशेष महत्‍व होता है। इस दिन जरूरतमंद लोगों को वस्‍त्र दान और भोजन दान करना चाहिए। लोगों को शरबत पिलाना चाहिए। जौ के सत्‍तू, पंखा, खरबूज और आम दान करने का विशेष महत्‍व होता है। इस दिन किसी गरीब संत को मटके या फिर कलश का दान करना अच्‍छा माना जाता है। इस व्रत को पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ करने और ज़रूरतमंदों को दान पुण्य करने से जीवन में सभी कष्ट दूर हो जाते है, धन-वैभव, सुख शांति और आरोग्यता प्राप्त होती है।