08 November 2023

जानें, किस दिन मनाई जाएगी भाई दूज? क्यों कहा जाता है इसे यम द्वितिया?

भाई दूज का पर्व भाई और बहन के पवित्र बंधन का प्रतीक है। हिन्दी पंचांग के अनुसार, इस पर्व को हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन बहन भाई को तिलक लगाकर भगवान से उसके उज्ज्वल भविष्य और खुशहाली की कामना करती है। भाई भी अपनी बहन की रक्षा करने का वचन देता है और उसे उपहार प्रदान करता है। 

 

इस दिन है भाई दूज

वैदिक पंचांग के अनुसार, इस बार की भाई दूज का शुभ मुहूर्त 14 नंवबर को मंगलवार के दिन दोपहर 02 बजकर 36 मिनट से शुरू होगा और यह 15 नवंबर को बुधवार के दिन दोपहर 01 बजकर 47 मिनट तक रहेगा। ऐसे में इस साल भाई दूज का पर्व 15 नवंबर को मनाया जाएगा। 

 

भाई दूज की उत्पत्ति

भाई दूज का इतिहास प्राचीन हिंदू पौराणिक कथाओं में खोजा जा सकता है। किंवदंती है कि भगवान कृष्ण, राक्षस नरकासुर का वध करने के बाद, अपनी बहन सुभद्रा से मिलने गए। सुभद्रा ने अपने भाई का स्वागत किया और उसके माथे पर एक पवित्र तिलक लगाया। बदले में, भगवान कृष्ण ने उन्हें उपहार दिए, जिससे यह त्यौहार भाई-बहन के स्नेह का प्रतीक बन गया।

 

भाई दूज का महत्व 

भाई दूज सिर्फ एक त्यौहार के अलावा प्यार और विश्वास का उत्सव है। इस दिन भाई को तिलक लगाने का गहरा महत्व है। बहनें अपने भाई को लंबे और स्वस्थ जीवन की कामना के लिए तिलक लगाती हैं। कहा जाता है कि इस पर्व को मनाने से भाइयों को अकाल मृत्य के भय से छुटकारा मिलता है। भाई दूज का त्यौहार भाइयों और बहनों के बीच बिना शर्त प्यार और आजीवन बंधन की याद दिलाता है। यह त्यौहार महिलाओं के सम्मान और समानता का प्रतीक है, इस दिन बहनें भगवान से अपने भाई के लिए समृद्धि का आशीर्वाद मांगती हैं।

 

इसलिए भाई दूज को कहा जाता है यम द्वितीया

भाई दूज के पर्व को यम द्वितिया भी कहा जाता है। पौराणिक कथाओं में इसका उल्लेख मिलता है कि मृत्यु के देवता यमराज को उनकी बहन यमुना ने कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को घर आने के लिए कहा था। यमुना ने उनसे कहा कि इस दिन सभी के भाई घर आते हैं लेकिन आप घर क्यों नहीं आते। इसके बाद यमराज दिवाली की दूसरी तिथि को अपनी बहन यमुना के घर गए थे। 

तब यमुना ने उनका तिलक लगाकर स्वागत सत्कार किया था। इससे यमराज बेहद प्रसन्न हुए। उन्होंने अपनी बहन को वरदान मांगने को कहा। तब यमुना ने कहा कि इस दिन जो भी भाई अपनी बहन के घर आए उसे यम का भय न रहे। इस पर यमराज ने तथास्तु कहा और चले गए। इस कहानी से अनुसार, भाई दूज का संबंध यमराज से भी है, इसलिए इसे यम द्वितीया कहा जाता है।  

भाई दूज एक हृदयस्पर्शी उत्सव है जो भाइयों और बहनों के बीच के रिश्ते को मजबूत करता है। यह त्यौहार भाई-बहन के प्यार के जश्न में परिवारों को एक साथ लाता है। इस विशेष दिन पर, आइए अपने भाइयों और बहनों के प्रति अपना प्यार और आभार व्यक्त करें, क्योंकि यह बंधन वास्तव में अमूल्य है।