जब सूर्य देव धनु राशि में प्रवेश करते हैं, उस अवधि को सनातन धर्म में खरमास के नाम से जाना जाता है। यह अवधि गहरा सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व रखती है, और इसका पालन प्राचीन परंपराओं में निहित है जो पीढ़ियों से चली आ रही हैं। खरमास को अशुभ समय माना जाता है। इस दौरान सभी शुभ और मांगलिक कार्य विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, जनेऊ संस्कार आदि कार्य करने पर रोक लग जाती है। खरमास की अवधि साल में दो बार आती है।
पंडितों के अनुसार सूर्य भगवान किसी एक राशि में 30 दिनों तक गोचर करते हैं। जब भगवान सूर्य धनु और मीन राशि में आते हैं तब भगवान सूर्य के प्रभाव से मीन राशि के स्वामी देवगुरु बृहस्पति का प्रभाव समाप्त हो जाता है। इसके चलते 30 दिनों की अवधि को खरमास कहा जाता है। इस दौरान कोई भी नया कार्य प्रारंभ नहीं किया जाता, साथ ही मांगलिक कार्यों की भी मनाही होती है।
पंडितों के अनुसार, इस साल का आखिरी खरमास 16 दिंसबर 2023 से शुरू हो रहा है। जो अगले साल 15 जनवरी 2024 तक चलेगा। दिसंबर माह में सूर्य धनु राशि में प्रवेश करेंगे। इसके बाद धनु से निकलकर जब मकर राशि में प्रवेश करेंगे तब मांगलिक कार्यों की शुरुआत होगी।
धनु बृहस्पति की राशि मानी जाती है। पौराणिक ग्रंथों में इस बात का उल्लेख है कि जब भी सूर्य देव बृहस्पति की राशि में आ जाते हैं तो यह मनुष्यों के लिए अशुभ माना जाता है। इससे गुरु ग्रह का प्रभाव कम होता है। साथ ही सूर्य देव का भी तेज कम हो जाता है। सूर्य देव की चाल बेहद धीमी हो जाती है। ज्योतिषियों के मुताबिक किसी शुभ कार्य को प्रारंभ करने के लिए इन दोनों ग्रहों का मजबूत होना जरुरी है। इसी कारण से इस दौरान शुभ कार्यों को करने की मनाही होती है।
1. खरमास के दौरान नए घर का उद्घाटन नहीं करना चाहिए। साथ ही इस दौरान नए घर में गृह प्रवेश भी वर्जित है। कहते हैं कि अगर खरमास की अवधि के दौरान नए घर में गृह प्रवेश किया जाए तो घर में अशांति बनी रहती है।
2. खरमास के दौरान नए व्यापार को शुरू नहीं किया जाता। कहा जाता है कि इस दौरान शुरु किए गए व्यापार में सफलता मिलने की संभावना कम हो जाती है और संघर्ष में बढ़ोत्तरी होती है।
3. खरमास की अवधि के दौरान विवाह आदि भी नहीं करना चाहिए। इससे दाम्पत्य जीवन में नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और जीवन में कई तरह की परेशानियां झेलनी पड़ सकती हैं।
4. खरमास के दौरान मुंडन, जनेऊ संस्कार और कान छेदन भी नहीं करना चाहिए। इससे व्यक्ति के ऊपर नकारात्मक असर पड़ता है।
खरमास के दौरान सूर्य देव की पूजा का विधान है। इस दौरान स्नान के उपरांत सूर्य देव की विशेष पूजा-अर्चना करनी चाहिए। साथ ही सूर्य देव के मंत्र का जाप करें और प्रतिदिन जल में कुमकुम मिलाकर सूर्य देव को अर्घ्य दें।