28 October 2023

जानें, क्यों अवसान की तरफ बढ़ रहा है कैरेबियाई क्रिकेट?

इन दिनों भारत में एकदिवसीय क्रिकेट विश्व कप खेला जा रहा है। जिसमें दुनिया भर की टीमें हिस्सा ले रही हैं। लेकिन इस बार वेस्टइंडीज की दिग्गज टीम इस टूर्नामेंट का हिस्सा नहीं है। इतिहास में पहली बार क्रिकेट सितारों से सुसज्जित यह टीम एकदिवसीय क्रिकेट विश्व कप का हिस्सा नहीं है। अगर हम इतिहास की बात करें तो कैरेबियाई द्वीपों में विगत कई वर्षों में क्रिकेट काफी फला फूला है। कई कैरेबियाई देशों को मिलकर ही एक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट टीम बनती है, जिसे हम वेस्टइंडीज क्रिकेट टीम के नाम से जानते हैं। 

अगर बीते दौर की बात करें तो वेस्टइंडीज ने सर विवयन रिचर्ड्स, कर्टनी वाल्श, ब्रायन लारा और क्रिस गेल जैसे दिग्गज क्रिकेटर दिए हैं। जिन्होनें दुनिया भर में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है और वेस्टइंडीज टीम का नाम रोशन किया है। एकदिवसीय क्रिकेट के पहले दो विश्व कप जीतने का कीर्तिमान वेस्टइंडीज के नाम ही है। इस टीम में ऐसे कई खिलाड़ी खेल चुके हैं जिन्हें अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त है। लेकिन पिछले कुछ सालों से देखा गया है वेस्टइंडीज में क्रिकेट ढलान की ओर है। इसके पीछे कई कारण हैं जो इसके लिए जिम्मेदार हैं-

 

युवाओं की दूसरे खेलों के प्रति बढ़ती हुई रुचि 

पिछले कुछ सालों में यह ट्रेंड देखा गया है कि कैरेबियाई देशों के युवा एथलेटिक्स, फुटबाल के साथ कई अन्य खेलों की तरफ आकर्षित हो रहे हैं। जिसके कारण इन देशों में क्रिकेट के प्रति रुचि घटती जा रही है। यह एक बड़ा कारण है जिसकी वजह से वेस्टइंडीज जैसी दिग्गज टीम को उम्दा क्रिकेटर नहीं मिल पा रहे हैं और वह बार-बार विश्व पटल पर अपनी छाप छोड़न में नाकाम साबित हो रही है। 

 

कमजोर क्रिकेट बोर्ड 

वेस्टइंडीज का क्रिकेट बोर्ड आर्थिक रूप से अन्य क्रिकेट बोर्डों के जितना सशक्त नहीं है। जिसके कारण बोर्ड अपने खिलाड़ियों को समय पर भुगतान नहीं कर पाता और युवा खिलाड़ियों को उचित संसाधन उपलब्ध नहीं करवा पाता। इसके कारण भी इन देशों में क्रिकेट की लोकप्रियता ढलान पर है।

 

खिलाड़ियों की अनुपलब्धता 

वेस्टइंडीज टीम में ऐसे बहुत सारे क्रिकेटर्स हैं जो अपनी टीम के लिए खेलने के बजाय फ्रेंचाइजी क्रिकेट खेलते हैं। ज्यादातर खिलाड़ी वेस्टइंडीज टीम का प्रतिनिधित्व करने के बजाय खुद की जेबें भरना ज्यादा पसंद करते हैं। इस मामले में बोर्ड का खराब प्रबंधन भी जिम्मेदार है जो खिलाड़ियों को टीम में खेलने के लिए प्रोत्साहित नहीं कर पाता। 

 

खिलाड़ियों में गेम सेंस और निरंतरता की कमी 

पिछले कुछ समय से वेस्टइंडीज के खिलाड़ियों के भीतर गेम सेंस की भारी कमी देखी जा रही है। इस टीम के खिलाड़ियों में प्रदर्शन की निरंतरता में भी कमी आई है। जिसका खामियाजा टीम को भुगतना पड़ रहा है और टीम इस बार एकदिवसीय क्रिकेट विश्व कप जैसे प्रतिष्ठित टूर्नामेंट से बाहर हो गई है। 

 

कभी अजेय टीम थी वेस्टइंडीज

वेस्टइंडीज क्रिकेट आज भले ही अपने निचले स्तर पर पहुंच गया है और तमाम परेशानियों से जूझ रहा है। लेकिन एक समय था जब इसे अजेय टीम का खिताब हासिल था। कोई भी टीम वेस्टइंडीज से आसानी से नहीं जीत पाती थी। इस टीम ने 1975 और 1979 में लगातार दो बार वर्ल्ड कप जीता था। साथ ही 1983 के विश्व कप में यह टीम फाइनल तक पहुंची थी। अपने आक्रामक खेल और दिग्गज खिलाड़ियों की वजह से 1980 के दशक में यह टीम अजेय मानी जाती थी। तब इस टीम के पास एक से बढ़कर एक धाकड़ गेंदबाज थे। जिनके सामने बल्लेबाज विकेट पर खड़े होने से डरते थे। इनमें जोएल गार्नर, माइकल होल्डिंग, एंडी रॉबर्ट्स, मैल्कम मार्शल, कर्टली एम्ब्रोस, कर्टनी वाल्श, इयान बिशप जैसे गेंदबाज शामिल हैं। इनके अलावा टीम में विवियन रिचर्ड्स, डेसमंड हेन्स, गॉर्डन ग्रीनिज़, लोगी, रिचर्डसन और ब्रायन लारा जैसे बल्लेबाज थे। जो किसी भी गेंदबाजी आक्रमण को तहस नहस करने का माद्दा रखते थे। 

आज भले ही वेस्टइंडीज की क्रिकेट टीम ढलान पर हो लेकिन एक समय इस टीम ने दुनिया भर में अपना परचम लहराया है। लोगों को उम्मीद है कि इस टीम का वह स्वर्णिम युग फिर से वापस आएगा।